अक्सर
मैं खोया रहता हूँ
कुछ अनजाने ख्वाबो में
मैं खोया रहता हूँ
कुछ अनजाने ख्वाबो में
और बनाता रहता हूँ
अपनी जिन्दगी का फसाना
यही तो ख्वाब है
जो सिखाते है इन्सान को जीना
यही तो है जो बने
यही तो है जो बने
बुनियाद हमारी खुशियों की
हमे चाहिऐ देखे हम ख़्वाब
हमे चाहिऐ देखे हम ख़्वाब
अपने सुनहरे भविष्य के
मगर यहाँ आकर हम को है संभालना
maanaa हक है देखे हम ख्वाब
मगर यहाँ आकर हम को है संभालना
maanaa हक है देखे हम ख्वाब
बनाए उस में आशियाना
और बटोरे
जमाने की सारी खुशियाँ
मगर ध्यान रहे
मगर ध्यान रहे
ख्वाब ,ख्वाब ही ना रह जाये
एक ज़रूरी काम अभी बाक़ी है
अभी तो यह ख्वाब है
इसका हक़ीकत बनना अभी बाक़ी है
और करना है इस के लिये बडाकाम
उपर वाला है हमेश ही
हमारी खुशियाँ चाहने वाला
हमारी खुशियाँ चाहने वाला
और हमे राह दिखाने वाला
उसने रात बनाई हम देखे ख्वाब
और फिर हमको दिया दिन
पूरा कर लो अपना हर ख्वाब ...
--- अमित ०५/05/०५
1 comment:
जो ख्वाब नहीं देकता वह कुछ कर भी नहीं सकता।
अच्छी कविता लिखते हैं।
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