Thursday, June 21, 2007

ये भौरें ...

कलियों की, बागीचे मे हमारे कमी नही
सच यह भी है
तुम सी हसींन कोई नही
बैठे है भौरें यहाँ हर कलि पर सभी
जमी है मगर सभी की नज़रे
तुम पर कहीँ ना कहीँ
हसरत तो ना जाने कितने है इनकी
तरसते है इस बात को भी
छुले एक बार , बस एक बार
वो भी तुम्हे कभी
भारी हो जाती हैं साँसे इनकी
गुज़र जाती है जब
तुम्हारी खुशबूँ भी करीब से कहीँ
थमी से रहती है जिन्दगी इनकी
जब तक ना पडे तुम पर नज़र इनकी
देखे जब तुमको
आ जाता है बेचैन दिल को इनके करार
दीवानगी ने इनकी किया है इनका नाम
और इन्होने ही दिया "एस-एस-टी" तुम को नाम...
(आपने "सी-सी-डी" के भाईयों के लिये एक प्रयास!)।
--- अमित २१/०६/07

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