Tuesday, June 5, 2007

यह दिल ...

लाख समझाया इसको
पागल फिर भी माने ना,
लाख मनाया इसको
यह दिल फिर भी माने ना,
तेरे लिये यह बेताब बड़ा
क्यों यह बेताबी तू पहचाने ना,
तुझको यह चाहे कितना
खुद भी यह जाने ना,
करता तुझ को इशारे
क्यों यह इशारे तू पहचाने ना,
कये छिपा हर इशारे में
इतना भी क्या तू जाने ना,
धड़कता है बस तेरे लिये
बात कोई यह जाने ना,
पाना यह बस तुम को चाहे
क्यों बात तू इस कि मने ना,
यह बेज़ुबान बेबस बड़ा
बेबसी इसकी क्यों तू माने ना,
धड़कन कहीँ इस की रूक जाये ना
इस से पहले तू इस को अपना लेना ...
--- अमित १२/०१/०५

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