Sunday, June 3, 2007

सफाई ...

पहले सोचा
जाकर उसको बोल दूं,
फिर ख्याल आया
कहीँ वो समझे
मैंने सफाई दी,
सच ही तो था
मेरे जीवन कि किताब
उसने इतनी पास रखी
कि , उसकी लिखाई उसको दिखाई ना दीं ....


--- अमित ०३/०६/०७

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