Sunday, June 10, 2007

क्या हुआ मेरे साथ ...

बाद अर्से के फिर मैं बैठा
लेकर कलम हाथ में
चाहा कि लिखू आज कुछ मैं,
मगर ना जाने कलम क्यों चलती नही
मेरे शब्द बनते नही
और मन साथ देता नही,
ऐसा पहले तो कभी ना हुआ
मैं कलम लेकर बैठा और कुछ ना बना
अचानक आज ये क्या हुआ
क्यों मन ने कलम का दामन छौड दिया ,
वषों का साथ पल में कैसे छूट गया
टूटी दिल के उमंगें
और कलम हाथ से छूट गया,
मेरी शायरी मेरे काम ना आई
धरी रह गई कागज़, कलम, रोशनाई ,
ऐसा तो बस पहली बार हुआ
मेरी जिन्दगी में जब से तू आई
मेरी शक्सियत पर है बस तू छाई,
तेरी महोबत का है यह इनाम
दुनिया ने दिया है मजनू का नाम,
इतना होने पर भी हिम्मत ना हमने हारी है
आज हारे तो क्या हुआ , आखरी जीत हमारी है,
तुझसे वादा है मेरा जो निभाऊंगा
इक दिन तेरे रुप पर एक मुकमल ग़ज़ल बनाऊँगा ...


--- अमित २७/०३/०५

2 comments:

Divya Prakash said...

agar main galat nahi hun to ,aap hi wo shaks ho jo 2 sal pehle IIT kanpur ke kavisammelan main apni kavita padh rahe the,uska video abhi thode din pehle hi mujhe mila , accha likha hai apne likhne ki duvidha ko lekar ,kavita ko jab aana hota hai to shabd nahi dekhtii,vishay nahi dekhtii wo to bus aa jatii hai

Divya Prakash said...

www.esakyunhotahai.blogspot.com yahan maine apni duvidha vyakat ki hai ,shayad apko pasand aaye !!