Tuesday, June 5, 2007

तुम सा हसीं ...

दुनिया में मुझसा खुशनसीब और नही
क्यों ना हो मुझे इस का गुमान,
दिलबर तो सबके हैं
तुमसा हसीं कोई नही
तुम से अदा , तुम सी शोखी
और किसी में कहीँ नही,
सच तो यह है दुनिया में
तेरा सानी कोई नही,
जनता हूँ
रंज करते है ये सारे हसीं
तुझ सी मासूमी जो इन में नही
हर दम जलता है इनका सीना
क्योंकि तुम हो
हुस्न का इक तराशा नगीना,
संकडौ दिल वाले फिरते हैं दिल को थामे
चाह हर इक कि ; अपनी भी किस्मत आज्माले,
हम से वोह खुशनसीब कहॉ
जिन पर यह इनाय्ते करम होती,
अपना हो जिन्दगी का खवाब पूरा हुआ
दुनिया का सब से हसीं
जिन्दगी का रहबर हमारी हुआ ...


--- अमित १६/०३/०५

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