जब भी होती वर्षा
धुल जाता सब कुछ
और
धुल जाता सब कुछ
और
आ जाती नई चमक
लगता सब कुछ सुंदर
लगता सब कुछ अच्छा
क्यों ना हुआ फिर मेरा साथ
मेरे आशुँओं कि बरसात से
क्यों ना हुआ मन उसका हल्का
क्यों ना धुला बैर उसके मन का
लगता सब कुछ सुंदर
लगता सब कुछ अच्छा
क्यों ना हुआ फिर मेरा साथ
मेरे आशुँओं कि बरसात से
क्यों ना हुआ मन उसका हल्का
क्यों ना धुला बैर उसके मन का
--- अमित ०५/०६/०७
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