अभी टूट कर बिखरने वाला था
कि आया कोई जिन्दगी में और
दिया मुझे अपना सहारा
और थामा मुझे अपनी बाहों में,
मुझको भी लगा जैसे मिल गया कोई अपना
जो ना देगा मुझे बिखरने ,
मगर ना जाने क्यों
"किसी को" मेरी खुशियाँ बर्दाश्त नही
और फिर आगए
एक ख़ुशी के बदले हज़ार ग़म मुझको तडपाने,
कि आया कोई जिन्दगी में और
दिया मुझे अपना सहारा
और थामा मुझे अपनी बाहों में,
मुझको भी लगा जैसे मिल गया कोई अपना
जो ना देगा मुझे बिखरने ,
मगर ना जाने क्यों
"किसी को" मेरी खुशियाँ बर्दाश्त नही
और फिर आगए
एक ख़ुशी के बदले हज़ार ग़म मुझको तडपाने,
अभी तो मैं संभला ही था और
मेरा सहारा ही मुझे छोड़ गया,
पूछता हूँ मैं उससे इक सवाल
क्यों करता है "वो" ऐसा मेरे साथ,
कब मैंने उस से कोई दुआ मांगी थी
या कोई शिकवा किया था,
फिर क्यों भेजा उसने ऐसा रहनुमा
जिस ने मरहम रख फिर ज़ख्मो को हरा किया,
मुझे बिखरना मंज़ूर है
एक बार ही सब गमो को गले लगाना मंज़ूर है ,
मगर मैं बर्दाश्त नही कर सकता
यों रोज़ रोज़
तिल तिल कर घुट घुट मरना,
अब मेरे यह हालात है
अब मैं इतना टूटा हुआ हूँ
कि कोई मुझे छुए भर
और मैं टूट कर बिखर जाऊं ...
--- अमित १६ /०५/०५
मेरा सहारा ही मुझे छोड़ गया,
पूछता हूँ मैं उससे इक सवाल
क्यों करता है "वो" ऐसा मेरे साथ,
कब मैंने उस से कोई दुआ मांगी थी
या कोई शिकवा किया था,
फिर क्यों भेजा उसने ऐसा रहनुमा
जिस ने मरहम रख फिर ज़ख्मो को हरा किया,
मुझे बिखरना मंज़ूर है
एक बार ही सब गमो को गले लगाना मंज़ूर है ,
मगर मैं बर्दाश्त नही कर सकता
यों रोज़ रोज़
तिल तिल कर घुट घुट मरना,
अब मेरे यह हालात है
अब मैं इतना टूटा हुआ हूँ
कि कोई मुझे छुए भर
और मैं टूट कर बिखर जाऊं ...
--- अमित १६ /०५/०५
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