Saturday, June 9, 2007

जब भी याद आया ...

जब भी याद आया,
बस वोही याद आया.
मिले थे जब तुम से हम,
वोही लम्हा, वोही मंज़र याद आया.
वो दो अजनबी आंखों का,
टकराना याद आया.
शर्मा कर उनका झुकना,
फिर देखने कि हसरत से;
वो उनका उठना याद आया.
सीने में बेताब धड़कता दिल
और दिल मे उभरते,
ज़ज्बातों का सैलाब याद आया.
दिल मे होती उस मीठी गुदगुदी,
का एहसास याद आया.
रह रह कर तेरे लबों पर,
धीमी से मुस्कान का आना याद आया.
जो कभी ना कही गई लफ़्ज़ों से,
आंखों से उन बातों का कहा जाना याद आया,
माँग ले खुदा से दुआ में बस तुम को,
मेरे दिल में तब हर येही ख़याल आया.
तुमे हो ना हो; हमे तो
पहली मुलाक़ात का हर लम्हा लम्हा रोज याद आया ...
--- अमित

No comments: