Saturday, June 16, 2007

काश ...

काश :
काश: , तू जान पाती
मेरी इस बेकरारी का आलम
समझ पाती मेरे दिल का हाल
तो जान पाती , कैसे तडपाती है
मुझको तुझसे एक पल की भी दूरी
दीवानों सा हाल रहता है जब तक ना पडे
कानो में मीठी आवाज़ तेरी
मिलती है जब तेरी नज़रों से नज़रे मेरी
उठती है एक प्यार की लहर दिल मे मेरी
सच बड़ी चोर हो तुम
जानती नही हो तुम
क्या कये किया है तुमने चोरी
मेरा चैन गया
मेरा दिल गया
और तो और
नींदे तक चुरा ली तुमने मेरी
अब तो इन्तहा है हो गई
मेरी बेकरारी की ,मेरी दीवानगी की
है तुम से गुज़ारिश मेरी
आ मेरे करीब
रख दिल पर हाथ मेरे
और कर दे ख़त्म ये बेकरारी मेरी ...
--- अमित १८/०६/०५

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