Saturday, May 18, 2013

कहानी एक सुबह की ...

साथ हमारे आज, गाडी में दो सज्जन आये
देखने में तो वैसे सामान्य ही वो नज़र आये ...
पीछे वाली हमारी सीट थी खाली
आ उन्होंने थी जो संभाली...
गई रात मैं कुछ कम सोया था
एक मीठी झपकी लेने के सपनो में खोया था...
उन सज्जनों के शक्ल में आज दु: स्वप्न आया था
राज यह समझ बहुत ही जल्द आया था...
आ कर जो उन्होंने अपनी चोंचे लड़ाई
लड़कियां बेचारी भी देख उसे शरमाईं...
खडखडाती गाडी में पास बैठे दोस्त की बाते समझ नहीं आती थी
पर मधुर वाणी उनकी, कान सबके भेद जाती थी...
पहले तो उन्होंने एक शहर भ्रमण करवाया
सभी जगहों को वहां की आँखों के सामने जीवांत करवाया...
फिर की उन्होंने अपने सामान्य ज्ञान की वर्षा
भीग जिस में हमारा मन अति हर्षा...
इतने पर भी बस होता तो हम खुश हो जाते
अगर पहले से जानते इरादे उनके, गाडी से अगली हम आते...
बाद इसके उन्होंने कुछ हवाई किले बनाई
एक ने दिया त्यागपत्र तो दूजे ने कंपनी अपनी लगाई...
लडको के कपडे महंगे होते है या लड़कियों के, बहस लड़ाई
किस्मत थी कुछ अच्छी, गाडी अपनी मंजिल पर आई...
उतर गाडी से जान में अपनी जान आई,
लड़कियां लड़कों से ज्याद बोलती है, कहावत उनके आगे गलत नज़र आई...

No comments: