Saturday, May 18, 2013

ई-ऍम-आई...

हम को लेकर हमारे बाप के सपने थे हाई
तो बड़े कॉलेज में करने भेजा हमको पढाई
छोटी सी सेलेरी में खर्च बड़ी न यह समाई
लिया लोन और अब चुकाते "ई-ऍम-आई "...
लग्न लगा पूरी की हमने पढाई
और फिर बांध गई अपने गले में टाई
काम बड़ी कंपनी में हम पाई
और ख्वाब अपने भी हो गये हाई-फाई ...
नये रंग का असर दिया जल्द दिखाई
गर्ल- फ्रेंड हमने भी अपनी एक बनाई
सैर-सपाटे को बाइक की याद आई
और मदद जिसने की वो थी अपनी "ई-ऍम-आई "...
किस्मत ने फिर घंटी अपनी बजाई
मिली ऑन-साईट और विदेश चल दिए "आज़ाद" भाई
पश्चिमी चका-चौंध ने दी मति फिराई
और ऐश में उडती सारी कमाई ...
चार चवन्नी, दो अठन्नी ले घर लौटे "आज़ाद" भाई
घर बजी शेहनाई और बड़े घर की दुल्हन पाई
विदेश में हनीमून और महंगी मुंह दिखाई
इस बार भी लाज़ जिसने बचाई, वो थी अपनी "ई-ऍम-आई "...
करते क्यों खराब रेंट में अपनी कमाई
खरीद भी लो एक फ्लैट, ससुरे की सलाह आई
फ्लैट ने भी भली माया दिखाई
रेंट से तिगुनी भरता मंटीनेन्स और अपनी "ई-ऍम-आई "...
सुविधाये सारी घर बीवी ने जुटाई
सजावटी समान देता सब मस्त दिखाई
कौन जाने बैंक करते कितनी कमाई
पर्सनल लोन की चुका रहा मैं अपनी "ई-ऍम-आई "...
डर सताता था, होगी कैसे बच्चो की पढाई
नई एक स्कीम ने राहत की सांस है दिलाई
लोन पर की जा सकेगी प्रायमरी की पढाई
जिंदाबाद-जिंदाबाद अपनी "ई-ऍम-आई "...
सोचो तो सब दुखो से बचती "ई-ऍम-आई "
ले लोन बस याद रहता कैसे चुकाएं "ई-ऍम-आई "
विश्व शान्ति का मन्त्र लगती मुझको अपनी "ई-ऍम-आई "
रगों में अब लहू ना दौड़े, दौड़ रही बस अपनी "ई-ऍम-आई "...

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