Saturday, May 18, 2013

आज यों जाने की जिद्द न कीजिये ...


आज यों जाने की जिद्द कीजिये 
चंद लम्हे अपने पहलू के और  दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये ...
आफ़ताब तो अभी बस बुझा भर है 
"दूजे" महताब को थोडा जल जाने दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये ...
उँगलियों की शरारत से उलझी हैं जुल्फें 
सुलझाने का मौका जरा हमको दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये ...
गुफ़्तगू लबों की तो ख़त्म हुई 
नज़रों को भी बाते चार करने दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये ...
मदहोश तो आलम बस अभी हुआ है 
बरकार और अभी इसे रहने दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये ...
फरेबों में तो फिर हमको जाना ही है 
मासूमियत का साथ थोडा और रहने दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये  ...
नजदीकियां भी क्या, पलों में गुजर जाती हैं 
दूरियों को आज, कुछ और देर दफ़न रहने दीजिये 
आज यों जाने की जिद्द कीजिये  ...
आज यों जाने की जिद्द कीजिये  ...
आज यों जाने की जिद्द कीजिये  ...

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