Saturday, May 18, 2013

जाने कौन सी है यह भाषा !!!

भाषा में तो हम शुरू से ही अज्ञानी थे,
लताड़े गुरु जी से हमेशा हम जाते थे !!
फिर की हमने कम्पूटर की पढाई
यहाँ हो गई थी अब कड़ी और लड़ाई !!
बाते लोगो की हम अब थक तो समझ जाते थे
की जब से चैट शुरू, बोल सर के ऊपर से जाते थे !!
जाने कौनसी भाषा लोग यहाँ प्रयोग में लाते है
मतलब समझ ने में एड़ी चोटी के जोर लग जाते है !!
पहला शब्द था "एल-ओ-एल", जिस पर हम गये थे डोल
हमने बोला था, भाई रे मुंह तो आगे कुछ खोल !!
हम जब ऐसा बोला तो "आर-ओं-एल-ऍफ़" फिर लिखा पाया
देख अपने दोस्त की हालत मलतब इसका समझ आया !!
"एच-आर-यु" और "जी-ऍम" भी यहाँ सबसे पहले बोलते हैं
पता नहीं, क्या ये दो प्यारे शब्द भी काटने को दौड़ते हैं !!
"ऍफ़-वाई-आई" ने जहाँ हमारी जानकारी को बढ़ाया
वहीँ "ऍफ़-वाई-ऐ" ने काम में हमारे इजाफा करवाया !!
"पी-टी-सी" जब एक दोस्त ने हमको बोला था
पड़ोस का पुलिस ट्रेनिग सेण्टर आँखों के सामने डोला था !!
"एच-ऍम-ऍम-ऍम" शब्द यह तो है बड़ा ही भारी
खोजने वाले के इसके रहेंगे हम सदा आभारी !!
बिना कुछ कहे ही देना हो अगर बात को विराम
प्रयोग दो बार इसका, लगा देता वहां पूर्ण विराम !!
"आर-यु-टी" सही से करता है ब्जज्ज़ का काम
सोते हुए जो जगाना, यही तो है इसका काम !!
"एस" शब्द ने तो नींद ही उड़ाई थी
होते होते बची हमारी खिचाई थी !!
"डब्लू-टी-ऍफ़" भी कहीं कहीं सामने आ जाते है
इनका तो छोटा होना ही सही, बात हम मान जाते है !!
याद है हम को वो जब करने बात ज़रूरी हमने गुहार लगाई थी
कुछ महानुभावो ने "टी-टी-वाई-एल" की तख्ती फिर लटकाई थी !!
"बी-आर-बी" तो जल्दी समझ आई थी
जब हमारी बात की जबाब एक घंटे तक न आई थी !!
"एन-पी" भी कभी किसी ने हमको बताया था
ख़ुशी की बात को जाने क्यों उसने संछेप में बताया था !!
"टी-सी", "डब्लू-सी" और "टी-वाई" भी बहुत पढने को आते है
इतनी सुन्दर बातों को लिखने में क्या हाथों में छाले पड़ जाते है !!
"बी-टी-डब्लू" ने काम अपना हमेशा ही निभाया
भटकती चैट को सही रास्ते पर इसी ने लाया !!
"ओं-ऍम-जी" सही सही हम से मेल खाई थी;
एक यही थी बात जो हमारे मुंह पर आई थी !!
और जाने कितने कितने बाते हम बतायेंगे
यहाँ सब "जी-आर-8" और हम मुर्ख यही मान जायंगे !!
चलो जी अब बहुत हुआ, "जी-टी-जी" बस अब है
पर जाने से पहले "जी-एन" और "एस-डी" सबको है !!

(काफी समय से सोच रहा था यह लिखने को , आज काम कर ही डाला !!!)

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