Thursday, May 31, 2007

क्या है यह ...

क्या है यह
हम दोनो के बीच,
प्यार तो हमे कभी था ही नही
और दोस्ती, शयद हमने कभी की ही नही,
और कोई "रिश्ता"
इस शब्द पर तो तुम्हे; यकीन ही नही
फिर भी कुछ तो है
जो तेरे दर्द से बेचैन
और तेरे गम से ग़मगीन करता मुझे,
तेरे हंसने से हंसाता
और तेरी ख़ुशी से हर्षित करता मुझे,
तेरी हार में हार
और तेरी जीत में जीत, समझाता मुझे,
जो तुझ से मिलने
तेरे साथ, को उकसाता मुझे
तुझको हर ख़ुशी देने को, ललचाता मुझे,
सदा तुझ को दिल के पास रखने
मगर तुझको पाने का ख्याल
कभी दिल मे ना लाने देता मुझे,
मुझको तो पता नही
हो सके तो तुम ही कुछ बतला दो मुझे
मगर सच कहू तो
"बेनाम" ही अच्चा लगता "यह" मुझे

--- अमित ०१/०१/०५

1 comment:

Durga said...

amit ji,

aapki poems to bahut hi aachi hain.

kis kis ki tarif karein!

bahut khoob likhte hain aap.