Wednesday, May 2, 2007

चाहता हूँ मैं ...

इक गीत है तू मेरा
चाहता हूँ मैं तुझे
अपने होंठों पर सजाना...
एक साज़ हैं तू मेरा
चाहता हूँ मैं तुझे
अपनी ही धुन में बजाना...
इक विश्वास हैं तू मेरा
चाहता मैं तुझे
हर पल अपने दिल में बसाये रखना...
मेरी यादों में
हर पल बसर है तेरा
चाहता हूँ मैं भी
कभी तुझे याद आना...
आती है रोज तू
मेरे ख्यालों मे
चाहता हूँ मैं भी
नींदे तेरी चुराना...
इक नशा हैं तू मेरा
चाहता हूँ मैं
हर पल डूबा
तेरे खुमार में रहना...
अब तो आलम है
इश्क में तेरे पागल हूँ
चाहता हूँ तुझे
अपना बनाना...
--- अमित 30/०४/०५

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