समय,
ना जाने कैसा है यह समय ,
ना जाने कैसा है यह समय ,
दिखाता लाखों रंग , लाखों रुप
कभी हम को रुलाता तो कभी हंसाता, समय
कभी धुत्कारता, तो कभी दुलारता ,समय
एक पल में सब सिमेटता तो दूजे पल लाखों खुशियां बिखेरता, समय
इक राह बंद कर, संक्डों राह बनाता, समय
हर पर्यतन को सम्मान देता, समय
हाथ से फिसलता तो कभी बाहों में सिमटता, समय
मेरी भरसक कोशिशों के बाद
एक उन्सुल्घा रहस्य , समय
मगर कुछ भी समझो
मुझको तो बस इतना लगता
हर पल इक नया सबक सीखता, समय
हर पल खुशियाँ बाटाने, हर पल प्यार बढाने का संदेश देता, समय
गिरने के बाद उठने का साहस, हर हार के बाद जीत का
और हर रात के बाद , नए सुबह का संदेश देता, समय
--- अमित ०१/०१/05
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