Saturday, May 19, 2007

वोह ही हो तुम ...

वोह ही हो तुम
थी जिसकी धुंधली सी तस्वीर,
हमेशा से मेरे ख्यालों में.
जानता नही कोई
रह कितना बेचैन मैं,
जानता नही कोई
ढुंढा किया हर पल तुम को मैं,
जानता नही कोई
जागा किया रातों को मैं,
जानत नही कोई
तारे भी गिना किया मैं,
जानता नही कोई
जिया है कितनी मायूसी को मैने,
ना जाने किया है कैसे काबू अपने जज्बातों को,
जब पाया नही कहीँ तुम को मैने,
पर, देखा जब पहली बार तुम को मैने,
कहा धीमे से मुझसे
इस बेताब दिल ने मेरे
जा भर ले उसे बाहों में
वोह सामने खडी है मंज़िल तेरे ...

--- अमित १९ मार्च 07