Thursday, May 3, 2007

इन्तजार...

जोयं जोयं चांद बढ़ता गया
उम्मीद घठ्ती गई,
तू तो ना आई,
और मायूसी बढ़ती गई
वादा करना और ना आना,
यह तेरी नही;
हर हसीन कि अदा हैं।
आशिक़ का दिल तोड़ना,
तुम्हारी बस एक अदा हैं,
तुम हसीनो कि बातों में,
जफा, सिर्फ जफा हैं।
हम आशिको कि तो;
इस में भी रज़ा हैं,
तुम करो जफ़ा;
और हम करे वफा,
अज़ाब ही हैं इसका मज़ा।

कल फिर चांद निकलेगा,
कल फिर मैं आउंगा,
कल फिर तेरा इंतज़ार होगा,
कभी तो वफा रंग लायेगी,
मुझे यकीन है; एक दिन तू ज़रूर आएगी...
--- अमित १९ /१२/०४

No comments: