Monday, July 30, 2007

तनहाईयां...

जब भी मैं उदास होता हूँ
और दुनिया से क्या अपने से भी भाग जाना चाहता हूँ
तव मैं बस तनहाईयां तलाशता हूँ
वहाँ जाकर आता है , मेरे दिल को करार
और मिलता है मेरी बेचैनी को आराम
माँ की गोद सी भाती है मुझे तन्हाई
आते ही जहाँ, दूर होती थकान
और आती जिस्म में नई जान
यो तो आते है और भी यहाँ
चन्द घड़ियाँ ही बस वो बताते यहाँ
और फिर खो जाते फिर इस दुनिया में
और नही सुन पाते अपने दिल की जुबान
मैं तो अक्सर आता यहाँ
करता घंटो अपने दिल से बात
मेरे दिल की आवाज़ मुझे सीखाती
कैसे इस दुनिया में है अपनी लडाई लड़ी जाती
कैसे बचाये जाते अपने नैतिक मुल्य
और कैसे बना जाता एक अच्छा इन्सान
हक़ीकत है , तन्हाई
कभी कभी बडा काम आती
और कुछ करे या ना करे
मुझे हमेशा ही जीने की नई राह दिखाती ...
--- अमित ०९/०४/०५

1 comment:

Anonymous said...

Yes, it works but not always.