जब साँसों का डोर उलझने लगेगी
जब नसों में दर्द जमने लगेगा
धुंधला चुकी होंगी जब आंखें
डूबा उम्मीद का तारा होगा
दूर तलक इस जहाँ में
कोई भी हमारा सहारा ना होगा
कभी तुम पुकार कर देखना
मौत से भी चंद लम्हे
मैं चुरा लाऊँगा
तुम्हे इतना प्यार किया है
इस तरह जहाँ से चला नही जाऊँगा .॥
--- अमित ०३/०७/०७
2 comments:
nicely expressed
Wow!
Kya khoob likha hai dost!
really nice.
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