Monday, July 16, 2007

यह जीवन ...

यह जीवन
बडा ही विचित्र
बडा ही रहस्मयी
और सदा ही भर्माता हमे
क्या छिपा है
भविष्य के गर्भ मे
यह कोई ना जान सका
उस पर भी देखो
यह मानव
अपने भविष्य की
क्या क्या सुनहरी
कल्पनाए कर रह
जनता यह इतना भी नही
होगा कल क्या
इस पर
यह समय
रोज देता हमे
नई चुनोती
और करता प्रयास
रोके हमारे बढते कदम
मगर यह तो है मानव धर्म
दिखलाए अपना परुसार्थ
स्वीकार करे इसकी चुनोती
और करे निरंतर प्रयास
अपनी विजय का
अगर ऐसा हुआ
यक़ीनन एक दिन आएगा
तुम्हारा आज
तुमसे पूछेगा
बता बन्दे
तू कल अपने लिए
कैसा जीवन चाहेगा ...
--- अमित २१/०४/०५

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