लगता जैसे दूर कहीँ
झरना गीरे पर्वतों से
लगता जैसे कल-कल बहे
करीब नदिया कहीँ से
लगता जैसे कूके कोयल
दूर कहीँ बन से
लगता छेड़े जैसे कोई बंसी की तान
ज़रा नजदीक से मेरे
लगता जैसे गूंजे घंटा
लगता जैसे गूंजे घंटा
दूर कहीँ किसी मंदिर से
ये सब मुझको लगता
जब तुम बोलो हलके हलके.॥
--- अमित ०२/०७/०७
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