ऐसा नही की मैं जानता नही
जो मैं लिखता हूँ , सब जानता हूँ मैं
क्या हुआ जो मेरे पास अच्छे शब्द नही
मेरी भावनाओ में कोई कमी नही
क्या हुआ जो मेरी सोच की जड़े गहरी नही
सोच मगर अपनी कहीँ ठहरी नही
निगाह है फलक पर मेरी और
पांव पड़ता है जमीन पर मेरा
बैर किसी से नही है मेरा
खुद का खुद से ही है वास्ता
दम अभी नही है किसी में
जो रोक सके मेरा रास्ता
चन्द घड़िया ज़रा बस रुका हूँ मैं
तय करना है मुझे अभी बहुत लम्बा रास्ता ...
--- अमित २८/०७/०७
1 comment:
बहुत खूब बन्धु!
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