Tuesday, July 24, 2007

मेरी जिन्दगी ...

जानती नही तुम
लाकर मेरी जिन्दगी में तुम्हे
किया है अहसान उसने बडा
साँसे तो तव भी चल रही थी
जी रह हूँ अब मैं
खुश तो तव भी था
ख़ुशी को अब पहचान रह हूँ अब मैं
जब से आई हो जिन्दगी में
आये हैं नये मायने इस में
ख़्वाब तो देखे थे पहले भी
रंग उनको तुमने दिए
जिन्दगी तो गुजर ही रही थी
जीने के हुनर तुम ने दिए
ग़र कोई पूछ ले हम से
कहते किसे है हम "जिन्दगी"
सामने तुम को कर देंगे
और कह देंगे
यह ही है हमारी "जिन्दगी"
--- अमित २८/०५/०५

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