भोंर बस होने को थी
आँखें मीठी नींद में डूबी थी
मेरे तन पर आलस्य पूरा छाया था
गई रात बड़ी सुहानी थी
सो मीठे सपनो का भी आना जाना था
अभी ना ये सब छोडा जाये
थोडी देर और इस खुमार मे जिया जाये
सुबह हो गई
अब तो हमे छोड़ो जी ,
तुम धीरे से बोली
अब तो हमे छोड़ो जी ,
तुम धीरे से बोली
और दिल करता रह
बस यों ही कानो में
रस घोलती रहे तुम्हारी शहद से मीठी बोली
और यों ही चलती रहे
हम से मीठे सपनो की आंखमीचोली...
--- अमित १२/०७/०७
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