Sunday, July 29, 2007

सादगी ...

अब तक ना जाने
कितने लोग मेरी जिन्दगी में आये
किसी के लिये मैं ठहरा नही
मिला तो बहुतो से
दिल में इतना गहरा कोई उतरा नही
बातें तो सभी करते हैं
खरा कोई उतरा नही
देखा है मगर जबसे तुम्हे
ठहर गई है मेरी तालाश
तुझ सी सादगी, तुझ सा भोलापन
और कहीँ देखा नही
बनावट और देखावा
फरेब और छलावा
इन् शब्दों को जैसे
तुने कभी सुना ही नही
तेरी हर बात से झलकता
तेरे सुंदर मन का भोलापन
तू अच्छी है तो सब अच्छे है
ऐसा ही सदा तुमने माना
सबके लिये तेरे दिल मैं बस प्यार ही प्यार भरा
तेरी इसी अदा ने जीत लिया दिल साबका
मेरे दिल में तो बस तेरी ही तस्वीर बसी
जब दिल चाहता तेरी तस्वीर देख मैं इतराता
तू मेरे दिल का साथी है यह एह्साह सुकून बडा मुझे पहुँचता ...
--- अमित ०५/०५/०५

2 comments:

ऒशॊदीप said...

बढिया रचना है।अच्छे भाव है\

परमजीत सिहँ बाली said...

अपनी भावनाओ को अभिव्यक्त करने का अच्छा प्रयास किया है।