क्यों होता है ऐसा
कोई अनजाना कभी कभी
लगता जान पहचाना
क्यों उठती हैं उमंगें
क्यों उठती हैं उमंगें
रह रह कर उस से मिलने की
क्यों रहता है दिल बेचैन
जा कर दूर उससे
आजाता है क्यों सुकून
आजाता है क्यों सुकून
करीब आकर उसके
क्यों लगती है राते लम्बी
और लगते है फिसलने दिन हाथों से
बातें चले औरो की
और ज़िक्र हो उसके
दिन भर रहा ना दूर उस से जाये
और रातों को भी नींद ना आये
हम जब भी सोये
तो आकर खावाबों में वो हमे जगाये
बैठे हो लिखने कुछ
और तस्वीर उसकी बन जाये
निकले हो हम अपने घर को
और पहुंच उसकी गली को जाये
नाम पूछा जाये हम से हमारा
और जुबां पर उसका नाम आये
जहाँ भी हम जाये, करीब ही उसको पाए
क्यों लगता है अपनी दुनिया
सिमटकर बस उसी पर ख़त्म हो जाये
हाँ , ऐसा ही सब कुछ होता है
जब प्यार किसी से होता है ...
--- अमित १४/०५/०५
2 comments:
अपने भावों को व्यक्त करने का अच्छा प्रयास किया है।बढिया है।
और ऐसा भी होता हैं। ज़रा इसे देखियेगा
http://oldandlost.blogspot.com/
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