देखा , आज सुबह
एक जाना पहचाना मगर अनजान चेहरा
देखकर जिस को ,
दो पल को समय जैसे ठ्हेरा
और याद आया
एक दिल अजीज़ शख्स
बडा ही जिंदा दिल
बडा खुश मिजाज़ , वो शख्स
जिंदा दिली इतनी की
जिन्दगी भी जीने का हुनर उससे सीखे
और खुश मिजाजी इतनी
खुशियाँ भी चन्द घड़िया उससे उधार मांगे
दुनिया को अपना बनाने की कला
भी बखूबी उसने पाई
अपना दिल उसको दे बैठा
हर एक शख्स , जो उसके करीब आया
मैं भी था खुश नसीब
मेरा भी कुछ नाता उनसे बन पाया
घड़ियाँ कब मगर एक सी घूमती है
वक़्त ने लिया एक दिन , बडा अजीब फेरा
और लगा गया हम सब की दिलो पर
आघात एक बडा ही गहरा
उस एक ख़बर ने
दिलों को सबके झकझोर दिया
हुई एक दुर्घटना
जिसमे उसने , जिन्दगी का दामन ही छोड़ दिया
घर से आती रोने की आवाज़
किसी से भी ना सही जाती थी
जहाँ दूर नज़र डालो
आंखों में बस नमी ही नज़र आती थी
कोई और नही
"शेलेंद्र भैया " ही थे वोह शख्स
जिनके जाने के गम मे सब रोये जाते थे
आज उनको गये अरसा हो गया
और हम सभी आज भी है उनकी यादें संजोये हुए ...
( अपने दोस्त के भाई की कार दुर्घटना में सपरिवार मृत्यु पर )
--- अमित ०४/०४/०५