Friday, July 16, 2010

हमको प्यार नहीं आता ...

शिकायत है उनकी
हमको प्यार नहीं आता
बने फिरते है शायर
इजहारे महोब्बत नहीं आता
जा कहीं, सीखे हम जरा
किसे कहते है प्यार
ताना अक्सर हमे दिया जाता
इन्ही नादानियों पे उनकी
हमको और प्यार आता
कैसे उन्हें कोई समझाए
अफ्सानाएं महोब्बत
लफ्जों से कम,
आँखों से बयां होता है
आँखों को पढ़ती है आँखें
और ज़ज्बात,
दिल समझ जाता है
ख़ामोशी की जो जुबाँ होती है
समझ उनको आती है
दिलो में जिनके
बस महोब्बत और महोब्बत होती है ...
--- अमित १६ /०७/२०१०

12 comments:

Tafribaz said...

तो मत करो

Tafribaz said...

तो मत करो

Tafribaz said...

तो मत करो

Tafribaz said...

तो मत करो

Tafribaz said...

तो मत करो

Tafribaz said...

तो मत करो

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बेहतरीन रचना ... दिल छुं गई ...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

एहसासों को बखूबी लिखा है ..

राजकुमार सोनी said...

किसने कह दिया कि आपको प्यार नहीं आता
प्यार तो आप करते हैं..ये बोलिए कि इजहार करना नहीं आता.
वो कौन सा गाना है न
छिपाना भी नहीं आता
बताना भी नहीं आता
हमें तुमसे मोहब्बत है
जताना भी नहीं आता

अजित गुप्ता का कोना said...

जब तक आप प्‍यार को जताएंगे नहीं ऐसा ही होगा। अच्‍छी रचना के लिए बधाई।

vandana gupta said...

दिलो में जिनके
बस महोब्बत और महोब्बत होती है ...
बिल्कुल खामोशी कि जुबाँ सिर्फ़ दिल ही समझेगा और वो ही जिसमे मोहब्बत होगी।

Ritesh Sinha said...

Bahut Sundar bhai...