Monday, July 19, 2010

नया धमाल ...

पहाडो की ऊंचाई
और सागर की गहराई
नाप हम चुके थे
"पर" राक्षसों की सेना के
खुल अब और चुके थे
करना है कोई बड़ा धमाल
मनसूबे नये बन चुके थे
घुट्टी अपने दिमागों की
फिर सबने मिलाई
जायंगे एक "रिसार्ट"
वोट सबकी यही आई थी
सेना फिर हुई तैयार
और हमला हुआ ज़ोरदार
सागर से लड़ने का
तजुर्बा अब सब को था
इस बार तो हशर
उसका बुरा ही होना था
सागर ने तो मान ली हार
स्विमिंग पूल के भी छक्के छूटे
योग-आसन के नियम
सारे फिर हमने तोड़े
और खज़ाने,
सारे गड़े, हमने उखाड़े
दिन ढले तो भूख सताई
जम कर खाई माल मलाई
ताकत और हौसला अभी बाकी था
तो छीनने अपनी हड्डी को
फिर कुत्तों ने की खूब लड़ाई
"लोटो" ने फिर लोग लूटे
आज, कल में बदल चुका था
शरीर अपना टूट चूका था
डेरो का अपने तब रुख किया
सूरज चढ़े पीछे फिर होश आई
खाने पर हुई फिर से चढ़ाई
डोल्फिन का शिकार
अपना अगला निशाना था
वापस आ फिर
स्विमिंग पूल, थकान मिटाना था
घड़ी अब कुछ इशारे कर रही थी
२४ घंटो की सुनहरी यादे लिए
सेना वापस कूच कर रही थी ...
( लिटल इंडिया के मोरिशस के एक रिसार्ट में आराम फरमाने के अंदाज़ पर..
.वहां जो खेल खेले उनका हिंदी रूपांतरण ... )
--- अमित १८/०७/२०१०

No comments: