क्या से क्या हो गया
माइग्रेशन तेरे बाजार में
चाहा क्या , क्या मिला
माइग्रेशन तेरे बाजार में
चलो पी.ऍम का भरम तो टुटा
जाना के माइग्रेशन क्या है
कहती है जिसको
अंडर-एस्टिमेट ये दुनिया
माइग्रेशन चीज़ वो क्या है
हमने क्या के न सहा
माइग्रेशन तेरे बाजार में
चाहा क्या , क्या मिला ,
माइग्रेशन तेरे बाजार में ...
मौज-ओ-मस्ती के हमसे
जुदा-जुदा अब रास्ते है
यकीन अब ये होगा किसको
पांच बजे आफिस से
हम भी कभी घर को निकले है
खोना है जाने हमे क्या क्या
माइग्रेशन तेरे बाजार में
चाहा क्या , क्या मिला ,
माइग्रेशन तेरे बाजार में ...
(एक और पैरोडी ...)
--- अमित ३०/०७/२०१०
No comments:
Post a Comment