Sunday, July 4, 2010

जी हुजुर...

पहले एक तस्वीर थी गई हमे दिखाई
सूरत अच्छी थी, हमको पसंद आई
तय फिर हुआ, दो दिन बाद
मंदिर में लड़की दी जायगी दिखाई
पहुंचे जब हम वहां, न दिया कोई दिखाई
थोड़ी देर गए, परिवार संग देवी जी आई
देख कर लगा अटपटा,
घरेलू कपड़ो में एक दम सादी सी आई
औपचारिकताओं के बाद,
अकेले में बात करने की अनुमति पाई
सुनकर उनकी पहली ही बात,
जोर की हमको हंसी आई
बातो बातो में हुआ हम पर ज़ाहिर
देवी जी है हर काम में माहिर
कुछ ना-नुकर के बाद हाँ हुई
आननफानन में फिर कुछ रस्मे हुई
बड़ो ने मिलकर फिर तारीखे तय की
कहावत "दिन धरा और आया" रंग लाई
और दौड़ी दौड़ी शादी की तारीख आई
ख़ुशी-ख़ुशी वो बन दुल्हन घर हमारे आई
जिन्दगी बदल तब से अपनी है गई
आज़ादी की चिड़िया हो गई फुर
सुबह शाम हम बोलते है "जी हुजुर"...
--- अमित ०४/०७/२०१०

1 comment:

gyaneshwaari singh said...

क्या बात है लगता है आप बीती लिख दी जनाब ने