Tuesday, July 13, 2010

बुराई और मैं ...

हर हरफ मचा हाहाकार
हर कोई मचा रहा शोर
अरे घोर कलयुग है यह
फैला भ्रष्टाचार चहू और |
महापुरुष निकलते है
सत्य की खोज में
और मैं निकला ,
बुराई की खोज में ,
सोचा पहले बुराई मिलेगी
तब जड़ का पता भी मिलेगा |
मेरे हर बढ़ते कदम पर
मुझे बुराइयां मिलती गई
और मैं घबराता गया
जाने क्यों हर बुराई की जड़
मुझ पर आ ख़तम होती थी ...
--- अमित १३/०७/२०१०

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