Wednesday, July 28, 2010

कहानी माइग्रेशन प्रोजेक्ट की ...

जाने क्यूँ लोग माइग्रेशन कराते है

जाने क्यूँ लोग कॉम्प्लीकेशन बढाते है

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

माइग्रेशन में देखिये तो बग ही बग है

माइग्रेशन हर दम डी-बग करना पड़ता है

माइग्रेशन में तो सर खपाना पड़ता है

कोड को हाथ लगाने से सब डरते है

टेंशन जाने क्यों जिन्दगी में भरते है

माइग्रेशन में जितने रिसोर्स हो , कम है

जाने क्यूँ लोग माइग्रेशन कराते है

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

माइग्रेशन में दिन डेस्क पर गुजर जाते है

माइग्रेशन में रात बीते घर जाते है

माइग्रेशन में हजार री-वर्क किये जाते है

माइग्रेशन में घंटों मीटिंग में बर्बाद जाते है

माइग्रेशन में हँसते चेहरे मुरझा जाते है

माइग्रेशन में तोंद बाहर निकल आते है

जाने क्यूँ लोग माइग्रेशन कराते है

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

माइग्रेशन में कुछ लर्निंग है

माइग्रेशन तो खुद की बर्निंग है

माइग्रेशन से तो बेंच पे ही अच्छे है

माइग्रेशन की ओनसाईट से देश में अच्छे है

माइग्रेशन में आगे से हम को जाना है

माइग्रेशन में जा मुफ्त में जान गवाना है

जाने क्यूँ लोग माइग्रेशन कराते है

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...

जाने क्यूँ , जाने क्यूँ ...


( मेरी पहली पैरोडी ...)

--- अमित २८/०७/२०१०

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