Friday, July 30, 2010

बाद जमानो के ...


बाद जमानो के
वो मिलने हम से आये
देख उनको तारे
ख़ुशी से और झिलमिलाये ...
चाँद तो,
उनसे जलता है ,
मिलना उनसे, हमारा
उसको बहुत खलता है ...
आते ही उनके
लाख चाले वो चलता है
हम भी,
हो चले अब श्याने है
जाएगा कहाँ वो
"पर" उसके.
हमने कुतर डालें है ...

--- अमित ३०/०७/२०१०

2 comments:

Sunil Kumar said...

हम भी,
हो चले अब श्याने है
जाएगा कहाँ वो
"पर" उसके.
हमने कुतर डालें है ...
सुंदर रचना , बधाई

संजय भास्‍कर said...

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।