हे "मैनेजमेंट" माता
तेरे चरणों में
कोटि कोटि नमन
तू हमें अपना
अबोध बालक जान
और दे हमारी
इस करुण वंदना पर ध्यान !
जा आगे कहीं
अपनी सामर्थ्य से
तुझमे हमने लगन लगाई
न देखी गर्मी हमने
न सर्दी हमको छु पाई
बरसा जमकर सावन भी
पर बुँदे हमे छु न पाई
सूरज कब उगता है
और कहाँ है छुप जाता
आँखें उसे देख कभी न पाई
होली आई , गया दशहरा
दीपावली की भी हुई विदाई
अब पूछती हम से बहना
कब घर आओगे भाई ?
कडवे-कडवे घुट हमने पिए
भक्ति पर हमारी डिग न पाई
कल आप का संदेशा आया था
देख जिसे आंख्ने भर आई
भक्ति का प्रसाद मिला था
जिसके थे हम अधिकारी
सम्मान किसी और को मिला था ...
( आज के हर आफिस की हालत )
--- अमित ०७/०७/२०१०
3 comments:
खूबसूरत पोस्ट
हे "मैनेजमेंट" माता
तेरी जय हो!!
बहुत बढ़िया.
क्या बात है ..अपनी वेदना को ऊ बहार करना अच्छा है न
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