Friday, June 11, 2010

खुशियों के पल ...

बात एक छोटी सी है
जरा कम समझ आती है
करो अगर इंतज़ार
कभी खुशियाँ नहीं आती है
करते करते इंतज़ार
लाखो खुशियाँ रेत सी
हाथों से निकल जाती है
कुदरत का दिया हर पल
बहुत ही है अनमोल
अभी देखो निकल गया एक पल
अब न आयगा ये कल
साथ ये भी लाया था खुशिया
फर्क सिर्फ इतना है
किसी ने समझा और अपनाया
किसी ने न समझा और गवाया ...

--- अमित १०/०६/२०१०

8 comments:

दिलीप said...

bahutahi badhiya baat

अजित गुप्ता का कोना said...

बस हर पल को जीयो क्‍योंकि प्रतिपल आदमी वर्तमान में ही जीता है। जो पल बीत गया और भूत बन जाता है और भविष्‍य कभी आता नहीं। इसलिए प्रत्‍येक परिस्थिति का सामना करो। बढिया कविता, बधाई।

Dev K Jha said...

हर पल को जियो...
वाह सुन्दर प्रस्तुति

पवन धीमान said...

...अच्छी भावपूर्ण रचना

Udan Tashtari said...

बहुत बेहतरीन!

Anamikaghatak said...

ACHCHA LIKHA HAI............APNE

निर्मला कपिला said...

बदिया लिखा है शुभकामनायें

Anonymous said...

good and wonderful expressions

you are becoming refined in your poetic expression every day
keep it up amit