Thursday, June 10, 2010

प्यार का मरहम ...

यह जरुरी नहीं
हर बात ब्यान
लफ़्ज़ों से हो
यह जरुरी नहीं
हर ग़म का हिसाब
आसुओं से हो
जरुरत नही सहारे की
तेरे ज़ज्बातो को
पाने को राह
मेरे दिल की
उठी हर टीस
तेरे दिल की
तोडती दम अपना है
पा कर राह
मेरे दिल की
अहसास है मुझे
तेरे दिल से उठते
हर दर्द का
न तू घबरा
न हो बेचैन
तेरे इन हरे जख्मों
पर होगा
मेरे प्यार का मरहम ....
--- अमित ०९/०६/२०१०

3 comments:

Udan Tashtari said...

बेहतरीन रचना.

पद्म सिंह said...

बहुत खूबसूरत रचना ...

Dr. C S Changeriya said...

वाह वाह

प्रस्तुति...प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद