कुछ लिखी हमने
और कुछ बनाई
कविताये यार !
प्रतिकिर्याएं आई
खुशियाँ संग
अचरज भी लाई !
कुछ सरहानाये आई
दिल को मगर
आलोचनाये ज्यादा भायी !
अचरज था
हरियाली उनके हिस्से आई
जो थी गईं बनाई
और सुखा वहां पड़ा
जहाँ थी दिल की गहराई !
और कुछ बनाई
कविताये यार !
प्रतिकिर्याएं आई
खुशियाँ संग
अचरज भी लाई !
कुछ सरहानाये आई
दिल को मगर
आलोचनाये ज्यादा भायी !
अचरज था
हरियाली उनके हिस्से आई
जो थी गईं बनाई
और सुखा वहां पड़ा
जहाँ थी दिल की गहराई !
--- अमित २४ /०६/२०१०
1 comment:
दिल की गहराई नापने की फुरसत किसे रहती है आजकल :)
Post a Comment