चंद कलियाँ गुलाब की
रोज़ तोड़ लाता हूँ मैं
दिखती है इनमें मुझे
अब सूरत ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की ...
जरुरी नहीं है अब मुझे
आब-बो-हवा कश्मीर की
महका रही है घर मेरा
ख़ुशबू ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की ...
जायज है अब मस्रुह्फियत मेरी
चुन चुन के आ रही है
यादें ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की ...
चर्चे है रोज़ मेरे बाज़ार में
दिखला रही है रंग मुझ पर
दीवानगी ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की...
रोज़ तोड़ लाता हूँ मैं
दिखती है इनमें मुझे
अब सूरत ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की ...
जरुरी नहीं है अब मुझे
आब-बो-हवा कश्मीर की
महका रही है घर मेरा
ख़ुशबू ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की ...
जायज है अब मस्रुह्फियत मेरी
चुन चुन के आ रही है
यादें ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की ...
चर्चे है रोज़ मेरे बाज़ार में
दिखला रही है रंग मुझ पर
दीवानगी ज़नाब की !
चंद कलियाँ गुलाब की...
--- अमित १८/०६/२०१०
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