यह सवाल कई बार
मैंने खुद से पूछा
आखिर क्या है कविता ?
एक ही जबाब हर बार मिला
आँख और जुबान है कविता
लगता अटपटा मेरा जबाब
गर करे जरा गौर
तो मायने रखता ये जबाब
यों तो आँखे रखते सभी
देखे जो सब से हटके
वही होता कवि ...
जज़्बात होते सबके पास
ब्यान करे जो उनको
वही होता कवि ...
मिलाया जब
अपनी आँख और जुबान को
बनी तब कविता
कहा इसीलिए
आँख और जुबान है कविता ...
--- अमित १४/०६/१०
6 comments:
जो कर सकता है जज्बातों को बयान , रच देता है कविता ...!!
सुंदर रचना
अच्छी परिभाषा दी है कविता की ...कृपया कवी को कवि कर दें ।
sundar paribhasha di hai sir...
आँख और जुबान है कविता ... बहुत सुन्दर. जोड़ना चाहूँगा ...पीड़ा का परिधान है कविता.
खुद का संज्ञान है कविता
सुन्दरता का गुणगान है कविता
खेतों में धान है कविता
दुख दर्द का भान है कविता
सुन्दर सलोना विहान है कविता
धरती माँ का परिधान है कविता
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