देता नहीं मुझे
कुछ होता गलत दिखाई,
करूं क्या, नेत्रहीन हूँ मैं !
देती नहीं मुझे
गुहार किसी की सुनाई,
करूं क्या, बधिर हूँ मैं !
चुप ही रहता हूँ
विरोध नहीं कर सकता गलत का,
करूं क्या, मूक हूँ मैं !
होती नहीं महसूस
किसी की वेदना मुझे,
करूं क्या, संवेदनाहीन हूँ मैं !
देखते क्यों हों
मेरी तरफ साहरे की आस से,
करूं क्या, खुद अपंग हूँ मैं !
दिखते क्यों इतने हो हैरान
यही तो है मेरी पहचान ,
हाँ,
करूं क्या, भारत सरकार हूँ मैं !
मुझे न आता है देश के काम आना
बस आता है मुझे,
अपने शून्य (0) का आठ (8) बनाना !
1 comment:
आपके सफल ब्लॉग के लिए साधुवाद!
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