यह करिश्मा हमने पहली बार देखा
जमीं पर चलता माहताब देखा
जो बस अकड़ता ही रहता था
उस आफताब को शरमाते देखा
शमा पर परवानो को जलते तो देखा था
माहताब पर उनको मरते, पहली बार देखा
जलने की चाह में,
आज हमने भी छु लिया माहताब को
फिर जमीं नाचते तारो को पहली बार देखा ...
(सोचा था बेगम को खुश करने के लिए कुछ अच्छा सा लिखूंगा, मगर हो कुछ और ही गया!!!)
--- अमित २९/०६/१०
1 comment:
:) ठीक तो है..सुना कर देखो. :)
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