यह जरुरी नहीं
हर बात ब्यान
लफ़्ज़ों से हो
यह जरुरी नहीं
हर ग़म का हिसाब
आसुओं से हो
जरुरत नही सहारे की
तेरे ज़ज्बातो को
पाने को राह
मेरे दिल की
उठी हर टीस
तेरे दिल की
तोडती दम अपना है
पा कर राह
मेरे दिल की
अहसास है मुझे
तेरे दिल से उठते
हर दर्द का
न तू घबरा
न हो बेचैन
तेरे इन हरे जख्मों
पर होगा
मेरे प्यार का मरहम ....
हर बात ब्यान
लफ़्ज़ों से हो
यह जरुरी नहीं
हर ग़म का हिसाब
आसुओं से हो
जरुरत नही सहारे की
तेरे ज़ज्बातो को
पाने को राह
मेरे दिल की
उठी हर टीस
तेरे दिल की
तोडती दम अपना है
पा कर राह
मेरे दिल की
अहसास है मुझे
तेरे दिल से उठते
हर दर्द का
न तू घबरा
न हो बेचैन
तेरे इन हरे जख्मों
पर होगा
मेरे प्यार का मरहम ....
--- अमित ०९/०६/२०१०
3 comments:
बेहतरीन रचना.
बहुत खूबसूरत रचना ...
वाह वाह
प्रस्तुति...प्रस्तुतिकरण के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
Post a Comment