Thursday, September 6, 2007

पहली मोह्बत ...

सुना है ,
कहते है लोग
भुलाये नही भूलता
यह पहला प्यार
उठती रहती है कसक
हमेशा; इस पहले प्यार की
यादें रहती है जवान
हमेशा; इस पहले प्यार की
ऐसा ही कुछ होता है मुझे
याद आता है वो मासूम चेहरा
याद आते है वो जुल्फों के घनेरे
याद आती है बातें उसकी प्यारी-प्यारी
याद आता है उसका सजना-सवारना
मेरा भी अक्सर, आईने में चेहरा देखना
रोज-रोज उस से मिलना
घंटों उसके साथ गुजारना
अपनी ज़ुबां से कुछ भी ना कहना
और आंखों में सारी बाते करना
याद आता है उसकी जुल्फों मे गुलाब लगाना
उसके जिस्म से आती महक से मदहोश रहना
रोज नए नए ख्वाबों की तामिल करना
और याद आती है ना जाने कितनी बाते
जो हमने शुरू तो की पर ख़त्म कभी ना हुई
और दिल में हमेशा मीठी याद बन कर रहीं
संजोया है मैंने अपने दिल में
उसकी यादों का अनमोल खजाना
जानना चाहती हो, कौन है मेरा पहला प्यार
तो मेरी आंखो में देखों
तस्वीर बसी है उसकी मेरी आंखों में देखो
हाँ , सही
सही देखा तुमने, तुम ही बसी हो मेरी आंखों में
तुम ही बसी हो मेरे दिल में, तुम ही मेरा पहला प्यार ...
--- अमित १३/०४/०५

2 comments:

Shastri JC Philip said...

"सही देखा तुमने, तुम ही बसी हो मेरी आंखों में
तुम ही बसी हो मेरे दिल में, तुम ही मेरा पहला प्यार"

अमित, यह एक सशक्त रचना है. लिखते रहों, बहुत लोगों को स्पर्श करोगे -- शास्त्री जे सी फिलिप

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

सुनीता शानू said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ती है...दिल को छू जाने वाली...

सुनीता(शानू)