Friday, September 14, 2007

तुमने ...


हर उम्मीद को

ना-उम्मीद में बदला है तुमने,
हर आस को

निराश किया है तुमने ,

झटका है हमेशा ही तुमने

बढाया जब भी हाथ हमने,

बदला है तुमने तकरार में

की जब भी कुछ बात हमने,

की जो हमने कुर्बानियाँ

दिया नाकामियाँ नाम तुमने,

ना आए तुम पर आंच

इस लिए चुप रहे हम

और बदनाम किया

हमे गली-गली तुमने,

टूट तो हम चुके थे

चूर-चूर किया है तुमने,

हमारे प्यार को

खेल कहा है तुमने

और अपनी दिल्लगी को

मोह्बत पुकार है तुमने,

बंद किए मेरे लिए

सब रास्ते तुमने

और देख अब भी खोला है

तेरे लिए दिल का दरवाजा हमने ...
- अमित १४/०९/०७

1 comment:

Anonymous said...

good one.

kuch hi shabdon mein, bahut kuch keh diya hai aapne.