Thursday, September 6, 2007

मैं शराबी ...


कहती है दुनिया

मुझे एक शराबी

है कोई यहाँ

जो बतलाये हमे

है क्या इसमे खराबी

जो हुए हम शराबी

नादाँ है दुनिया

कहती है बुरा

होना एक शराबी

जानती नही यह

जीने ही अदा ही बदल जाती

हो जाता जब कोई शराबी

जमीन भी जन्नत बन जाती

गर मिल जाये मैखाने में

मेरे महबूब सा हसीं; साकी

कब पीते है हम जाम प्यालों से

चलते है तव दौर जामो के

बस उसकी मद- भरी आंखों से

छायी रहती ही खुमारी

हम पर अब उसके नशे की

कुछ काम हम पर

कोई दवा नही करती

ला- इलाज है ये

लगी है हम को

तुम से इश्क की बिमारी ...


--- अमित ३०/०४/०५

1 comment:

सुनीता शानू said...

बहुत ही गलत बात है यह जल्दी छोड़ दो क्या जरूरी है खुशी हो या गम शराब ही पियेंगे हम...

सुनीता(शानू)