ये नया दौर है
नया ज़माना
भूले हम सब
जो भी हुआ पुराना
खाना बदला
पीना बदला
बदला है पहनावा
जीवन बदला
बदले गये नाम
बदले आचार- विचार
और बदल दी भाषा
हिन्दी हो सब भूल गये
आधो को इंग्लिश ने न अपनाया
डूबतो को तब दिया
"हिंग्लिश" ने सहारा
हिंग्लिश अब
हिन्दी से ज्यादा बोली जाती है
और इसे बोल
दुनिया बहुत इतराती है
"नमस्कार" को सब भूल गये
हॉय-बाय अब काम आती है
माँ-पिता का पता नही
मॉम- डैड अब मिल जाते है
चाचा-ताऊ, मामा-मौसा किस के है
अंकल हर गली में मिल जाते है
ये हम ही क्यों ऐसे है
जो कुछ सही से ना अपना पाते है
अपनी संस्कृति तो छोड़ चुके
और दुसरी को अपना नही पाते है ...
--- अमित २३/०९/०७