Thursday, August 30, 2007

अहसास !!!

अहसास !!!
मानो तो एक जीवन
ना मानो तो बस एक शब्द
मुझे अहसास है की
तू मेरे साथ है
और यह अहसास ही
मेरे जीने की आस है
तेरे प्यार का अहसास
यही तो है जिसने दिया
इस ज़र्रे को खास होने का अहसास
यह अहसास ही तो है
जिसने दूरी को भी नजदीकियां कर दिया
मैंने ज़रा बंद की अपनी आँखें
और दिल में तेरे चहरे का दीदार कर लिया
अभी चल रहा है विरह माना
मैंने तो करता हूँ, तुम भी कभी आजमाना
बंद अपनी आंखे करना
अपने मन में मेरा स्पर्श का अहसास लाना
देखना विरह ना तुम्हे सतायेगी
और अपने मिलन का अहसास तुम कर पाओगी ....

--- अमित ३०/०८/०७

3 comments:

Anonymous said...

bandhu!

kya baat hai! aaj hi request ki hai, aur aaj hi nayi kavita haazir!

badiya hai bandhu...

yoon to mujhe yeh cheezein nahin samajh aati, par phir bhi, khoon-E-dil ki seriousness ke baad, yeh halka halka ehsaas, badiya hai!!!

bahut din baad likha apne...

aage bhi likhte rahiyega!!
badiya lagta hai!

परमजीत सिहँ बाली said...

एक भावुक दिल से निकली कविता है...बहुत बढिया!

Anonymous said...

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